जयपुर (जेडीए अप्रूव्ड ब्यूरो)। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगों में शुमार करने वाले रियल एस्टेट उद्योग का भारतीय बाजार गति पकड़  रहा है। ऐसे दर्जनों सैक्टर हैं, जो रियल एस्टेट पर निर्भर करते हैं और देश की अर्थव्यवस्था की गति में इस उद्योग की महत्ती भूमिका है। साथ ही भारतीय बाजार में अप्रवासी भारतीयों का निवेश भी लगातार बढ़ रहा है, जो रियल एस्टेट को लगातार मजबूती दे रहा है। 

इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बाजार में रियल एस्टेट उद्योग आने वाले सालों में बादशाहत करेगा। इस क्षेत्र में हो रही तरक्की इसे अगले बीस सालों में 65,000 करोड़ का उद्योग बना देगी। भारत सरकार भी इस दिशा में रियल  एस्टेट उद्योग को खासा सपोर्ट कर रही है। सरकार लक्ष्य लेकर चल रही है कि 2022 तक अफोर्डेबल हाउसिंग में करीब 2 करोड़ लोगों को घर मुहैया करवाए जा सकें। इसी लक्ष्य के मद्देनजर प्रधानमंत्री आवास योजना को शहरी विकास मंत्रालय लगातार प्रोत्साहित भी कर रहा है। आईबीईएफ की इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि वर्ष 2025 तक भारत की जीडीपी में रियल एस्टेट उद्योग करीब 13 प्रतिशत योगदान दे रहा होगा और यह उद्योग करीब 650 बिलियन डॉलर्स का आकार ले लेगा।

जेडीए अप्रूव्ड डॉट कॉम की रिसर्च और एनालिसिस विंग ने जब अलग-अलग रिपोट्र्स का अध्ययन किया तो पाया कि भारतीय बाजार में को-लिविंग मार्केट भी लगातार बढ़ रहा है और आने वाले पांच सालों में यह दुगुनी तरक्की करते हुए करीब 13.92 बिलियन डॉलर्स तक पहुंच जाएगा। भारतीय रियल एस्टेट बाजार के अध्ययन से पता चलता है कि यहां मांग की तुलना में पूर्ति का दबाव बढऩे से इस क्षेत्र में खास बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। आंकड़े बताते हैं कि एलआईजी, एमआईजी और एचआईजी तीनों ही सेगमेंट में एलआईजी की मांग बम्पर तेजी दिखाएगा। बीते सालों को ही लें तो 2016-20 तक देश के टॉप 8 शहरों में जहां एलआईजी की मांग करीब 1,982,000 थी वहीं बिल्डर्स की ओर से पूर्ति केवल 25,000 एलआईजी की उपलब्धता तक ही पहुंच पाई। इसी तर्ज पर एमआईजी में भी पूर्ति पर दबाव देखने को मिला और जहां मांग 1,457,000 घरों की रहीं वहीं, उपलब्धता केवल 647,000 घरों की ही हो पाई। इधर एचआईजी में भी बीते सालों में आकर्षण देखा गया। 717000 की मांग की तुलना में पूर्ति केवल 351000 एचआईजी प्रॉपर्टीज की ही हो पाई है।

इधर देश के विभिन्न शहरों पर जेडीए अप्रूव्ड डॉट कॉम की टीम के अध्ययन से पता चलता है कि न केवल रिहायशी प्रॉपर्टीज की मांग में तेजी देखने को मिली है, बल्कि ऑफिस स्पेस लीज पर देने के कारोबार में भी तेजी आई है। इस मामले में बंगलुरू आज भी देश के टॉप 8 शहरों में नंबर एक पर रहा है। अकेले बंगलुरू में 2019 में करीब 15.3 मिलियन स्क्वायर फीट ऑफिस स्पेस लीज पर दिया गया है। वहीं हैदराबाद में यह 12.8, मुंबई में 9.7, एनसीआर में 8.6, चेन्नई में 5.2 मिलियन स्क्वायर फीट तक दर्ज किया गया है।